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जर्दालु आम

जर्दालु आम को समस्त राज्यपाल व LG को उपहार स्वरूप भेजेगा बिहार कृषि विश्वविद्यालय

जर्दालु आम को समस्त राज्यपाल व LG को उपहार स्वरूप भेजेगा बिहार कृषि विश्वविद्यालय

बिहार राज्य के भागलपुर जनपद को जर्दालु आम की वजह से ही प्रसिद्धि मिली है। बतादें, कि भागलपुर में सर्वाधिक जर्दालु आम के ही बाग हैं। जर्दालु आम एक अगेती किस्म है। इसी कड़ी में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने यह निर्णय किया है, कि इस बार वह देश के समस्त राज्यपाल एवं उप राज्यपालों के लिए जर्दालु आम भेजा जाएगा। मतलब कि राज्यपाल समेत राजभवन के अधिकारियों द्वारा भी इसका स्वाद लिया जाएगा। साथ ही, विशेषज्ञों ने कहा है, कि कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से जर्दालु आम का विपणन और ब्रांडिंग करने हेतु निर्णय लिया गया है। अब हम यह जानेंगे कि जर्दालु आम में ऐसी कौनसी विशेषता है, जिसके चलते इसको भारत के समस्त राजभवनों को उपहार के तौर पर दिए जाने का फैसला लिया गया है। ये भी पढ़े: आम की खास किस्मों से होगी दोगुनी पैदावार, सरकार ने की तैयारी दैनिक जागरण की खबर के अनुसार, वैसे तो उत्तरी बिहार राज्य में विभिन्न प्रकार के आम की प्रजातियों का उत्पादन किया जाता है। परंतु, इनमें से जर्दालु आम सर्वाधिक प्रसिद्ध है। यह आम खुद के बेहतरीन स्वाद की वजह से जाना जाता है। इसकी मिठास मिश्री की भांति होती है। इसके अंदर रेशे ना के समान होते हैं। यही कारण है, कि जर्दालु आम मुंह में डालते ही मक्खन की भांति घुल जाता है। लोग इसका जूस निकालने हेतु विशेष रूप से इस्तेमाल करते हैं।

जर्दालु आम में कितना वजन होता है

भागलपुर जनपद को जर्दालु आम की वजह से ही जाना जाता है। भागलपुर में सर्वाधिक जर्दालु आम के बाग पाए जाते हैं। इसको आम की एक अगेती प्रजाति है। वैसे तो आम में मंजर बसंत के उपरांत आने चालू हो जाते हैं। परंतु, इसमें जनवरी माह से ही मंजर आने शुरू हो जाते हैं। बतादें कि 20 फरवरी के उपरांत टिकोले आम का रूप धारण कर लेते हैं, जो कि जून माह से पकने चालू हो जाते हैं। हालांकि, इससे पूर्व यह सेवन करने योग्य बाजार में आ जाते हैं। इस आम आकार भी अन्य किस्मों की तुलना में काफी बड़ा होता है। बतादें, कि इसके एक आम का वजन 200 ग्राम से ज्यादा होता है। साथ ही, इसका छिलका थोड़ा मोटा भी होता है। इस वजह से लोग इसको अचार लगाने में भी बेहद इस्तेमाल किया करते हैं।

25 टन आम का उत्पादन केवल एक हेक्टेयर के बगीचे से होता है

जर्दालु आम को उसके रंग से आसानी से पहचाना जा सकता है। पकने के उपरांत जर्दालु आम का रंग हलका पीला एवं नारंगी हो जाता है। अब इस स्थिति में लोग इसको सहजता से पहचाना जा सकता है। इसमें तकरीबन 67 फीसद गूदा रहता है। रेशा तो बिल्कुल मौजूद नहीं होता है। किसान भाई इसके एक पेड़ से एक सीजन में 2000 फलों की तुड़ाई कर सकते हैं। एक हेक्टेयर के बाग से 25 टन आम का उत्पादन मिलता है। बतादें, कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर इससे पूर्व भी बहुत सारे नेताओं एवं संवैधानिक पद पर विराजमान लोगों को जर्दालु आम भेजा जा चुका है। बीते वर्ष इसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं राष्ट्रपति को जर्दालु आम उपहार में दिया था। साथ ही, इसको विदेशों में भी नामचीन लोगों को उपहार स्वरुप दिया जाता रहा है।
जर्दालु आम की इस बार बेहतरीन पैदावार होनी की संभावना है

जर्दालु आम की इस बार बेहतरीन पैदावार होनी की संभावना है

जर्दालु आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने बताया है, कि प्रत्येक वर्ष तुड़ाई करने के उपरांत ट्रेन से जर्दालु आम को दिल्ली रवाना किया जाता है। साथ ही, विगत वर्ष इंग्लैंड एवं बहरीन समेत बहुत सारे देशों में इसका निर्यात किया गया था। संपूर्ण भारत में विभिन्न प्रजाति के आम की खेती की जाती है। कहीं का मालदा आम प्रसिद्ध है, तो कहीं का दशहरी आम अपने स्वाद के लिए जाना जाता है। परंतु, भागलपुर में उत्पादित किए जाने वाले जर्दालु आम की बात ही कुछ और है। इसका नाम कानों में पड़ते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। इसके चाहने वाले लोग स्पेशल ऑर्डर देके इसे खाने के लिए मंगवाते हैं। जर्दालु के चाहने वाले प्रति वर्ष बेसब्री से इस भागलुपरी आम के पकने की प्रतीक्षा करते रहते हैं। इस बार जर्दालु आम के चाहने वाले लोगों का इंतजार शीघ्र ही समाप्त होने वाला है। क्योंकि अगले माह से जर्दालु आम का विक्रय शुरू होने वाली है।

भागलपुर में जर्दालु आम का बेहतरीन उत्पादन होता है

किसान तक की खबरों के अनुसार, मई माह के आखिरी सप्ताह से जर्दालु आम की बिक्री चालू हो जाएगी। ऐसी स्थिति में जर्दालु प्रेमी इसके स्वाद का खूब लुफ्त उठा सकते हैं। जर्दालु आम का स्वाद अन्य आम की तुलना में बेहद स्वादिष्ट होता है। इसका सेवन करने से शरीर को विभिन्न प्रकार के विटामिन्स मिलते हैं। बिहार के भागलपुर जनपद में इसका बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है। विशेष बात यह है, कि जर्दालु आम को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ- साथ राज्यपालों को भी उपहार स्वरुप दिया जाता है। इस आम का सेवन मधुमेह के रोगी भी कर सकते हैं। यह एक प्रकार से शुगर फ्री आम होता है। यह भी पढ़ें : मिर्जा गालिब से लेकर बॉलीवुड के कई अभिनेता इस 200 साल पुराने दशहरी आम के पेड़ को देखने…

जर्दालु आम अपनी मनमोहक सुगंध की वजह से जाना जाता है

यही कारण है, कि बिहार सरकार वर्ष 2007 से भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं समस्त राज्यों के राज्यपालों व एलजी को जर्दालु आम उपहार स्वरुप भेज रही है। जर्दालु आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष अशोक चौधरी का कहना है, कि प्रत्येक वर्ष तुड़ाई करने के उपरांत ट्रेन के जरिए जर्दालु आम को दिल्ली पहुँचाया जाता है। साथ ही, विगत वर्ष इंग्लैंड एवं बहरीन समेत बहुत से देशों में इसका निर्यात किया गया था। यदि इस आम की गुणवत्ता के पर प्रकाश डालें, तो इसकी सुगंध बेहद ही मनमोहक होती है। यह खाने में भी सुपाच्य फल है।

किसानों को इस वर्ष जर्दालु आम की बेहतरीन पैदावार मिलने की उम्मीद

अशोक चौधरी का कहना है, कि इस वर्ष जर्दालु आम के बेहतरीन उत्पादन की आशा है। मई के आखिरी सप्ताह में इसकी तुड़ाई आरंभ हो जाएगी। इसके उपरांत यह बाजार में ग्राहकों के लिए मौजूद हो जाएगी। बतादें, कि साल 2017 में जर्दालु आम को जीआई टैग हांसिल हुआ था। इसके उपरांत से इसकी मांग बढ़ गई है। दरअसल, इस बार भी बेहतरीन पैदावार होने की आशा है। ऐसी स्थिति में इसका निर्यात विदेशों में भी किया जाएगा।